सब रिस्तो मेरे मर्दो का नाम पहले आता हैं ..
दादा-दादी
नाना-नानी
चाचा-चाची
मामू-ममानी
पोटा-पोती
नवाशा-नवाशी
भतीजा-भतीजी
भांजा-भांजी
भाई-भाभी
मियाँ-बीवी
सेठ-सेठानी
भाई-बहन
सिर्फ एक हैं रिस्ता ऐसा हैं जिसमें औरत का नाम पहले आता हैं..वो हैं...........मॉ
मॉ-बाप
वाह क्या हैं मकाम मॉ का ...
Tuesday, 6 December 2016
प्यारी मॉ
शोलों को हवा
जो फसादत के शोलों को हवा देते हैं
ऐसे हाथो में हुकूमत नहीं देखी
जाती
और जान खतरे में है तो उठा ले तलवार
ऐसे मौकों पर शराफत नहीं देखी
जाती
.....✏ ãłhîřîřî..........
Saturday, 3 December 2016
मुस्ताफा जानें रहमत पे लाखों सलाम
*ऐ खुदा तूने भेजा है रहमत का जाम,*
*उनके हाथों से जिनका मुहम्मद है नाम,*
*रूह निकलती रहे दिल ये कहता रहे"*
*"मुस्तफा जाने रहमत पे लाखों सलाम.*
Friday, 2 December 2016
या हुसैन
यज़ीद से पूछो के तेरा राज कहाँ है ?
वो खून से आलूदा तेरा ताज कहाँ है ?
ज़िंदा है हुसैन हमेशा ही रहेगा !
यज़ीद लानत के सिवा तेरी याद आज कहाँ है ?
Saturday, 8 October 2016
Islamic
भटकी हुई हयात के रहबर हुसैन हैं
सेहरा हैं करबला तो समन्दर हुसैन हैं
खुशबू पयामे हक की हैं सारे जहान में
गुलज़ार-ए-मुस्तफा के गुल-ए-तर हुसैन हैं
इश्क़े हुसैन से मेरी उक़बा संवर गई
सब्रो रज़ा के आज भी पैकर हुसैन हैं
बेशक हयात-ओ-मौत का हैं फैसला यही
जी कर यजीद मर गया, घर-घर हुसैन हैं
जान अपनी दे के जिन्दगी बख्शी हैं दीन को
हर दिल का,हर निगाह का मेहवर हुसैन हैं
हैदर के नूरेऐन जिगर गोशा-ए-रसूल
मासूम और बाला-ओ-बरतर हुसैन हैं
'आलम' उनके दम से ही रौशन हैं कायनात
दीन-ए-मुबीं के माहे-मुनव्वर हुसैन हैं
(रदी अल्लाहु ता'ला अन्हु)
Sunday, 18 September 2016
Important mobile number in Sunni maulana
बहूत ही अहम मोबाइल नम्बर जो आपके कभी भी काम आ सकते है...
ताजुश्शरिया अल्लामा अख्तर रजा खान
अजहरी मिंया बरेली शरीफ
5813290576-9820283645:
अमीने मिल्लत हजरत सैयद अमीन मिया
कादरी बरकाती मारहरह शरीफ
9837051622:
शेखुल इसलाम हजरत सैयद मोहम्मद
मदनी मिया अशरफी जिलानी किछोछा
शरीफ: 9936740485-9426182855:
गयासे मिल्लत हजरत सैयद गयासुद्दीन
साहब कालपी शरीफ: 9956084382:
गुलजारे मिल्लत सैयद गुलजार मिया
मसवली शरीफ:9935640786:
सैयद हुसैनी मियाँ अशरफी:9422146796
हजरत सैयद अवैश मिया साहब बिलगराम शरीफ:9918110044:
शरफे मिल्लत सैयद मोहम्मद अशरफ
मिया कादरी बरकाती चीफ इंकमटेक्स
कमिश्नर कलकत्ता:9870786292
रफीके मिल्लत सैयद नजीब हैदर बरकाती
मारहरह शरीफ:9758553559:
मोहद्दिसे कबीर अल्लामा जियाउल
मुस्तफा कादरी सरबराहे आला जामिआ
अमजदिया घोसी: 9415544290
शेखे तरीकत मौलाना सुब्हान रजा खान
सुब्हानी मिया बरेली शरीफ:
4126341192-9359103539
मौलाना मोहम्मद तौसीफ रजा खान
बरेली शरीफ:9760146031
मौलाना मोहम्मद तकसलीम रजा खान
बरेली शरीफ:9412294114:9704296936
हजरत अल्लामा असजद रजा खान
साहबजादा अजहरी मिंया बरेली शरीफ
9897007120:9761880051
मुहददिसे जलील अल्लामा अब्दुश शकूर
मिसबाही शेखुल हदीश जामिया
अशरफिया मुबारकपुर:9793822345
हजरत मौलाना मोहम्मद अहसन रजा
खान सहजादा नशीन खानकाहे रजवीया
बरेली शरीफ:9012009522
मौलाना सैयद रूकनुद्दीन असदक चिश्ती
बिहार शरीफ:9934037310
शेख अबुबकर मसलियार मलबारी बानी
मरकजे सकाफता सुन्निया काली कट
केरला:9313506678
मुफ्ती मुजीब अशरफ रजवी नागपुरी
9422114275
हजरते अल्लामा फारूक खान रजवी
नागपुरी साहब:9822930155
शहजादह अमीने शरीअत मौलाना सलमान रजा खान बरेली शरीफ
9412194231
मुफती ए आजम मुरादाबाद मुफ्ती
मोहम्मद अय्यूब नईमी जामिआ नईमिया
मुदादाबाद:9412240160:
मुफ्ती उबैदुर्रहमान रशीदी परनवी
9470063392:
अल्लामा मोहम्मद अहमद मिसबाही
जामिआ अशरफिआ मुबारकपुर
9450827522:
अल्लामा यासीन अख्तर मिसबाही बानी
वमुहतमम दारूलकलम देहली:
011-26983872-9350902937:
मौलाना अब्दुल मुबीन नोअमानी अल
मजमऊल इसलामी मुबारकपुर
9838189592:
मुफ्ती मोहम्मद निजामुद्दीन रजवी नाजिमे मजलिस शरई सदर दारूल अफ्ताअ
मुबारकपुर:9450119650:
मुफ्ती अब्दुल मन्नान कलीमी मुफ्ती ए
शहर मुरादाबाद:9359719889:
गाजी ए मिल्लत सैयद मोहम्मद हाशमी
मिया अशरफी जिलानी किछोछा शरीफ
9415102469:
सैयद मोहम्मद अशरफ किछोछी जनरल
सेकरेट्री उल्माअ व मशाएख बोरड
लखनऊ:9968267710:
सैयद मोहम्मद असगर ईमाम कादरी
प्रिंसपल जामिआ कदरीया बनारस:
9415418451:
मुफ्ती मोहम्मद अब्दुल हकीम रजवी
अमीर दओत इस्लामी हिंद नागपुर
9415696955:
मुफ्ती मोहम्मद मिया शमर देहलवी ईमाम मस्जिद शेखान बाड़ह हिंद वराउं
देहली 9423404048:
सैयद मोहम्मद अजमल हुसैन अशरफी
किछोछा शरीफ 9213877379:
Saturday, 23 July 2016
खतरे में इस्लाम नहीं मुसलमान हैं
इस्लाम से मुसलमाँ को प्यार नहीं है
फिर ऐसे मुसलमाँ की तो दरकार नहीं है
दीन की हिफ़ाज़त तो है वादा खुदा का
*खतरे में मुसलमान है, इस्लाम नहीं है*
इस्लाम है खतरे में जो नारा लगाते हैं
हर दम जो बात बात में चिंता जताते हैं
अमल में ईनके अल्लाह का पैग़ाम नहीं है
*खतरे में मुसलमान है, इस्लाम नहीं है*
इस्लाम सदा से है, कयामत तक रहेगा
अल्लाह निगेहबान है और आगे भी रहेगा
इस्लाम सच है, हक़ पे मुसलमान नहीं है
*खतरे में मुसलमान है इस्लाम नहीं है*
इस्लाम अमन है, हे अल्लाह को प्यारा
पैग़ाम ए मुहब्बत को ज़मीं पर हैे उतारा
इस बात से किसी को इनकार नहीं है
*खतरे में मुसलमान है, इस्लाम नहीं है*
Thursday, 7 July 2016
EID-ul-FITR
तू मेरी दुआओं में शामिल है इस तरह;
फूलों में होती है खुशबु जिस तरह;
अल्लाह तुम्हारी जिंदगी में इतनी खुशियाँ दे;
ज़मीन पर होती है बारिश जिस तरह।
ईद मुबारक!
Tuesday, 14 June 2016
हज़रते बिलाल हब्शी
हज़रत बिलाल हब्शी रज़ियल्लाहु अन्हू को जब जलते हुए कोयलों पर लिटा कर कोड़े मारे जा रहे थे तब रास्ते से गुज़रते हुए किसी शख़्स ने उनसे कहा कि:
"बिलाल बड़ी अजीब कहानी है, तुम कोयलों पर लेटे हो, वह कोड़े मार रहा है और तुम मुस्कुरा रहे हो"
तो हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हू ने हंस कर फ़रमाया:
"जब तुम बाज़ार जाते हो और कोई मिट्टी का बर्तन भी ख़रीदते हो तो उसको भी ठोक-बजा के देखते हो कि इसकी आवाज़ तो ठीक है? कहीं कच्चा तो नहीं है..
बस मेरा मालिक(अल्लाह) बिलाल को ख़रीद रहा है, देख रहा है कहीं बिलाल कच्चा तो नहीं है.. मैं कहता हूँ ऐ मालिक ख़रीद ले बिलाल को, चमड़ी उधड़ भी जायेगी तब भी हक़-हक़ की आवाज़ ख़त्म नहीं होगी" (सुब्हान'अल्लाह)
Monday, 13 June 2016
☀✨गर्मियों का रोज़ा✨☀
➡ह़ज्जाज बिन यूसुफ़ एक मर्तबा दौराने सफ़रे ह़ज मक्कए मुकर्रमा व मदीनए मुनव्वरह के दरमियान एक मन्ज़िल में उतरा और दोपहर का खाना तय्यार करवाया और अपने ह़ाजिब (यानी चौबदार) से कहा कि किसी मेहमान को ले आओ! ह़ाजिब ख़ैमे से बाहर निकला तो उसे एक आराबी लेटा हुआ नज़र आया, इसने उसे जगाया और कहा: "चलो तुम्हे अमीर ह़ज्जाज बुला रहे हैं"!
आराबी आया तो ह़ज्जाज ने कहा: "मेरी दावत क़बूल करो और हाथ धोकर मेरे साथ खाना खाने बैठ जाओ"!आराबी बोला: "मुआ़फ़ फ़रमाइए, आपकी दावत से पहले मैं आपसे बेहतर एक करीम की दावत क़बूल कर चुका हूं"!ह़ज्जाज ने कहा: "वो किसकी"?आराबी बोला: "अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ की जिसने मुझे रोज़ा रखने की दावत दी और मैं रोज़ा रख चुका हूं"!ह़ज्जाज ने कहा: "इतनी सख़्त गर्मी में रोज़ा"?आराबी ने कहा: "हां, क़यामत की सख़्त त़रीन गर्मी से बचने के लिए"!ह़ज्जाज ने कहा: "आज खाना खा लो और ये रोज़ा कल रख लेना"!
आराबी बोला: "क्या आप इस बात की ज़मानत देते हैं कि मैं कल तक ज़िन्दा रहूंगा"!ह़ज्जाज ने कहा: "ये बात तो नही"!आराबी बोला: "तो फिर वो बात भी नही"!ये कहा और चल दिया!
(रौज़ुर्रियाह़ीन, सफ़ह़ा-48)
प्यारे इस्लामी भाईयों और इस्लामी बहनों,
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ का करोड़ करोड़ एह़सान हैं कि ये रमज़ानुल मुबारक हमने अपनी ज़िन्दगी में पाया! भले ही इस बार के रोज़े बहुत शदीद गर्मी में आए हैं मगर इस गर्मी से ड़रकर रोज़े क़ज़ा मत कर देना क्या पता अगला माहे रमज़ान नसीब होगा भी या नही?और ये ख़याल मत करना कि 'इस साल गर्मी ज़्यादा हैं मगर अगली साल रोज़े ज़रूर रखेंगे' हां, अगर ज़िन्दगी बाक़ी रही तो ज़रूर रखेंगे लेकिन ज़िन्दगी का कोई भरोसा नही कि अगले माहे रमज़ान तक हम ज़िन्दा रहे!
इसलिए ये ख़याल करे कि इस बार गर्मी ज़्यादा हैं तो क्या हुआ मेरा रब عَزَّ وَجَلَّ मुझे सवाब भी बेशुमार अ़त़ा फ़रमाएगा!
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ के जो नेक बन्दे होते हैं वो ये जानते हैं कि क़यामत की गरमी के आगे दुनिया की गरमी कुछ भी नही और वो अपने रब عَزَّ وَجَلَّ को राज़ी करने के लिए मुश्किल से मुश्किल नेकी भी कभी नही छोड़ते!
अल्लाह عَزَّ وَجَلَّ हमें माहे रमज़ानुल मुबारक की क़द्र करने की त़ौफ़ीक़ अ़त़ा करे!
आमीन
Sunday, 12 June 2016
Khusoosan Duaye
सूरेह यासीन" -- फज्र के बाद पढ़ने से हर ख्वाहिश पूरी होती हे
"सूरेह वाकिया" -- मगरिब के बाद पढ़ने से कभी फाका नहीं आता
"सूरेह कौशर " -- दुश्मनो की दुश्मनी से बचाती हे
"सूरेह काफिरुंन" -- मौत के वक़्त कुफ़्र से बचाती हे
"सूरेह इखलाश" -- मुनाफ़िक़ात से बचाती है
"सूरेह फलक" -- हादसों से बचाती हे
"सूरेह नास" -- बसबसो से बचाती हे
ये तोहफा दुसरो को भी दे क्योंकि अल्लाह अज्जओ जल तोहफा देने वालो को पसंद फरमाता है. *आमीन
Friday, 10 June 2016
मौत के वक़्त की कैफियत
मौत के वक़्त की कैफियत
जब रूह निकलती है तो इंसान का मुंह खुल जाता है होंठ किसी भी कीमत पर आपस में चिपके हुए नही रह सकते... रूह पैर के अंगूठे से खिंचती हुई ऊपर की तरफ़ आती है जब फेफड़ो और दिल तक रूह खींच ली जाती है तो इंसान की सांस एक तरफ़ा बाहर की तरफ़ ही चलने लगती है ये वो वक़्त होता है जब चन्द सेकेंडो में इंसान शैतान और फरिश्तों को दुनिया में अपने सामने देखता है... एक तरफ़ शैतान उसके कान के ज़रिये कुछ मशवरे सुझाता है तो दूसरी तरफ़ उसकी जुबान उसके अमल के मुताबिक़ कुछ लफ्ज़ अदा करना चाहती है अगर इंसान नेक होता है तो उसका दिमाग उसकी ज़ुबान को कलमा ए शहादत का निर्देश देता है और अगर इंसान काफ़िर मुशरिक बद्दीन या दुनिया परस्त होता है तो उसका दिमाग कन्फ्यूज़न और एक अजीब हैबत का शिकार होकर शैतान के मशवरे की पैरवी ही करता है और इंतेहाई मुश्किल से कुछ लफ्ज़ ज़ुबान से अदा करने की भरसक कोशिश करता है...।
ये सब इतनी तेज़ी से होता है की दिमाग़ को दुनिया की फ़ुज़ूल बातों को सोचने का मौका ही नहीं मिलता...। इंसान की रूह निकलते हुए एक ज़बरदस्त तकलीफ़ ज़हन महसूस करता है लेकिन तड़प इसलिए नहीं पाता क्योंकि दिमाग़ को छोड़कर बाकी ज़िस्म की रूह उसके हलक में इकट्ठी हो जाती है और जिस्म एक गोश्त के बेजान लोथड़े की तरह पड़ा हुआ होता है जिसमें कोई हरकत की गुंजाइश बाकी ही नहीं रहती...।
आखिर में दिमाग की रूह भी खींच ली जाती है आँखें रूह को ले जाते हुए देखती हैं इसलिए आँखों की पुतलियां ऊपर चढ़ जाती हैं या जिस सिम्त फ़रिश्ता रूह कब्ज़ करके जाता है उस तरफ़ हो जाती हैं...
इसके बाद इंसान की ज़िन्दगी का वो सफ़र शुरू होता है जिसमें रूह तकलीफ़ों के तहखानों से लेकर आराम के महलों की आहट महसूस करने लगती है जैसा की उससे वादा किया गया है... जो दुनिया से गया वो वापस कभी नहीं लौटा... सिर्फ इसलिए क्योंकि उसकी रूह आलम ए बरज़ख में उस घड़ी का इंतज़ार कर रही होती है जिसमें उसे उसका ठिकाना दे दिया जाएगा... इस दुनिया में महसूस होने वाली तवील मुद्दत उन रूहों के लिये चन्द सेकेंडो से ज़्यादा नहीं होगी भले ही कोई आज से करोड़ों साल पहले ही क्यों न मर चुका हो...।
मोमिन की रूह इस तरह खींच ली जाती है जैसे आटे में से बाल खींच लिया जाता है... और गुनाहगार की रूह कांटेदार पेड़ पर पड़े सूती कपड़े को खींचने की तरह खींची जाती है...।
अल्लाह तआला हम सबको मौत के वक़्त कलमा नसीब फरमाकर आसानी के सात रूह कब्ज़ फ़रमा और नबी ए पाक सल्लल्लाहु अलैही व-सल्लम का दीदार नसीब फरमा...।
आमीन या रब्बुल आलमीन!
HUMARE NABI
بِسْمِ اللهِ الرَّحْمنِ الرَّحِم _________________
हमारे नबी
नाम-
हज़रत मोहम्मद सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम
___________________
हुज़ूर के वालीद/ वालदा का नाम-
/हज़रत अब्दुल्लाह
/हज़रत आमिना
____________________
हुज़ूर के दादा और नाना का नाम-
/हज़रत अब्दुल मुत्तलिब
/हज़रत वहब
______________________
हुज़ूर की पैदाईश का दिन-
१२ रबिउल अव्वल (२० अप्रैल 571 ई.)
असहाबे फ़ील के वाकिआ से ५५ दिन बाद
_______________________
हुज़ूर ने बचपन मे
/हज़रते सुवैबा
/हज़रत आमिना
/हज़रते हलिमा का दुध पिया
____________________
हुज़ूर की बिवीयो के नाम जो हर
मुसलमान की माँ है।-
/हज़रते ख़दीजा
/हज़रते सौदह
/हज़रते आईशा
/हज़रते हफ्सा
/हज़रते उम्मे सल्मा
/हज़रते उम्मे हबिबा
/हज़रते ज़ेनब
/हज़रते ज़ेनब बिन्ते खुज़ेमा
/हज़रते मैमुना
/ हज़रते जुवेरिया
/हज़रते सफ़िय्या रदियल्लाहु तआलाअन्हा
_____________________
हुज़ूर के दो साहबज़ादो के नाम -
जिनका विसाल बचपन ही मे हो गया था।
/हज़रते क़ासीम
/हज़रते इबराहीम
____________________________
हुज़ूर की चार साहिबज़ादीयो के नाम-
/हज़रते ज़ेनब
/हज़रते रूकय्या
/हज़रते उम्मे कुलसूम
/हज़रते फातिमा
_____________________
हुज़ूर के १२ चाचाओ के नाम-
/हारिस
/अबू तालिब
/जुबैर
/हम्ज़ा
/अब्बास
/अबू लहब
/गैदान
/मुकव्विम
/ज़िरार
/कुसम
/अब्दुल कअब
/जहल।
(इनमे से सिर्फ हज़रते हम्जा व हज़रते अब्बास ने इस्लाम क़बूल किया ।)
_____________________
हुज़ूर के 3 नवासो के नाम-
/हज़रत इमाम हसन
/हज़रत इमाम हुसैन
/हज़रत इमाम मोहसिन-
हुज़ूर के 3 नवासीयो के नाम-
/हज़रते ज़ैनब
/हज़रते उम्मे कुल्सुम
/हज़रते रूकय्या
(हज़रते मोहसिन व हज़रते रूकय्या का
विसाल बचपन मे हो गया था )
____________________
हुज़ूर की 6 फूफ़ियो के नाम-
/हज़रते सफिय्या
/अतिका
/उमेमा
/उम्मे हकिम
/बर्रह
/अरवI
(इनमे सिर्फ हज़रते सफिय्या इमान लाई)
____________________
हुजूर के खुददामे खास के नाम-
/हज़रत अनस
/हज़रत रबिआ
/हज़रत ऐमन
/हज़रत अब्दुल्लाह
/हज़रत उक्बा
/हज़रत अस्लअ
/हज़रत अबुज़र गिफारी
/हज़रत मुहाजिर मौला
/हज़रत हुनैन
/हज़रत नुएम
/हज़रत अबुल ह़मर
/हज़रत अबुस्समह़
-----------------------------
दरबारे नुबूवत के ख़ास नात ख़्वा के नाम-
/हज़रते कअब बिन मालिक
/हज़रत अब्दुल्लाह बिन र वाहा
/हज़रत हस्सान
-----------------------------
हुजूर के खुसूसी 4 मुअज़्जिन के नाम-
/हज़रते बिलाल
/हज़रतअब्दुल्लाह
/हज़रत सअद बिन आएद
/हज़रते अबू महज़ुरा
-----------------------------
हुजूर ने किन सहाबी को कोनसी
मस्जिद जलाने का हुक्म दिया-
/मस्जिदे ज़रार
जो मुनाफिको, गुमराहो न बनाई थी मुसलमानो को बहकाने के लिये
/हज़रते मालिक
/हज़रते मअन को मस्जिदे ज़रार को जलाने का हुक्म दिया था़
(इस के बारे सुरह तौबा आयत 107 मे आया है )
-----------------------------
हुजूर के दामादो के नाम-
/हजरत अबूल आस
/हज़रत उस्मान गनी
/हज़रत अली शेरे खुदा
-----------------------------
हुजूर के ससुर के नाम (जिनकी बेटीयो से आपने निकाह किया)-
/खुवेल्दा बिन असद
/ज़मआ
/हज़रत अबू बकर सिद्दिक
/हज़रत उमर फारूक
/हुजैफा
/अबू सुफयान
/हारिस
/हारिस बिन ज़रार
/हुय्यि बिन अख़तब
---------------------
Khutbe ka ahtaraam
फजीलत-ए-खुत्बा-ए-जुम्मा....`♥हजरत अबु हुरैरा (रजी अल्लाहु अन्हु) से रिवायत है की,रसुलल्लाह! (सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) ने इरशाद फरमाया--"जो शख्स अच्छी तरह वजु करता है फिर जुम्मा कीनमाज के लिए आता है खुब गौर से खुत्बा सुनता है, खुत्बे के दौरन खामुश रहता है।, तो इस जुम्मा से गुजीस्ता जुम्मा तक माजीद 3 दिन केगुनाह माफ कर दिये जाते है।,और जिस शख्स ने कंकरियो को हाथ लगया (यानी दौराने खुत्बा उसने खेलता रहा या चटाई कपड़ा वगैरह से खेलता रहा) तो उसने फजुल काम किया"(मुस्लिम, 1/283)`♥दुआ की गुजारिश है :-
Khujoor ka barkat
खजूर से इफ्तार की हिकमत
खजूर से रोज़ा इफ्तार करने मे ये हिकमत है कि खजूर गिज़ाइयत से भरपुर फल है_____
इस से जिस्मानी तवानाई हासिल होती है____
खजुर ताज़ा खुन पैदा करती है______
● कमज़ोरी
● थकावट
● कमर दर्द
● पठ्ठो का दर्द
● हाथ पांव सुन होने
● कफ
वगैरह के लिए मुफीद गिज़ा है
✏
हज़रत अनस रदीअल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि____
रसूलअल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम मगरिब की नमाज़ से पहले चंद तर खजुरो से रोज़ा इफ्तार फरमाते थे_________
अगर तर खजुरे वक्त पर ना मिलती तो सुखी खजुरो ( छुहारो ) से इफ्तार फरमाते थे_____
ओर अगर खजुरे भी ना होती तो चंद घुट पानी पी लेते थे___
तीरमीज़ी शरीफ
आप सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के इस अमल को अगर साइंस की निगाह से देखा जाए तो मालूम होता है की_____
जब हम खजुर से रोज़ा इफ्तार करते है तो उसकी मिठास मुह के थुक मे मील कर ग्लुकोज मे बदल जाती है_____
जिस से जिस्म मे हरारत और तवानाई हासिल होती है
और
इस का उलटा अगर हम तली हुई चटखारेदार चीजे इस्तेमाल की जाए तो इस से पेट मे तेजाबीयत की वजह से सिने मे जलन और बार बार प्यास लगती है______
खजुर खाने से
● दिमागी कमजोरी दूर होती है
● याददाश्त बढती है
● दिल मे ताकत पैदा होती है
● खुन की कमी दुर होती है
● गुरदे मजबुत होते है
● दमा मे फायदा होता है
अरबो मे कहावत है कि साल मे जितने दिन होते है इतने ही खजुर के इस्तेमाल के फायदे है___
αιλiriri
Saturday, 30 January 2016
Nabi ki shan
_____________________________________
एक शख्स दूर दराज़ से सफर तय करके मदीना पहुँचा । उस शख्स को ख्वाहिश थी कि नबी ए करीम (सलल्ललाहो अलैही वसल्लम ) के रौज़ा ए अक़दस पर हाज़िरी दूँ ।
वह शख्स जब मदीना पहुँचा तो शाम हो चुकी थी ।ग़ुरबत का आलम था । जो रक़म साथ लाया था, वो भी ख़त्म हो चुकी थी । फिक्र हुई कि शाम को क्या खाऊंगा...?
दिन भर का भूखा था और बहुत मायूस हो गया ।
फिर अचानक ख्याल आया कि यहाँ तो वो मौजूद हैं, जो पूरी दुनिया का ख्याल रखते हैं ।
उठ कर प्यारे आक़ा के रौज़ा ए अकदस पर पहुँचा और अर्ज किया........
या रसूलअल्लाह..!!
मैं सुबह से बहुत भूखा हूँ.
मुझे कुछ खाने को अता करें
मैं आपका मेहमान हूँ । ये कहकर वो शख्स वहीं लेट गया ।
नींद का ग़ल्बा जारी हुआ क्या देखता है कि ख्वाब में हज़रत अबूबक्र और हज़रत उमर रजियल्ललाहू अन्हु तशरीफ लायें हैं और उस शख्स से आपने फरमाया कि
ए फालाँ उठो..!!
रसूले करीम ने तुम्हारे लिए रोटी भेजी है । उस शख्स ने ख्वाब में ही वो रोटी हज़रत उमर से ले ली और खाने लगे
अभी आधी रोटी ही खाई थी कि आँख खुल गई । जब आँख खुली तो देखा कि वो शख्स वहीं लेटा था और रोटी का आधा हिस्सा हाथ में था ।
√सुब्हान_अल्लाह
ये शान है मेरे आक़ा (सलल्ललाहो अलैही वसल्लम ) की
[ सीरत उन नबी - 77/167 ]
Tuesday, 26 January 2016
Republic Day
इंक़लाब ज़िंदाबाद,
मुल्क में या रब मेरे इंसानियत क़ायम रहे..!!
यह दुआ है देश की हर ख़ासियत क़ायम रहे..!!
सारे इंसाँ एक हो कर हिन्द को रौशन करें..!!
और इसके साथ ही जम्हूरियत क़ायम रहे..!!
( αιнiriri )
Saturday, 23 January 2016
Islamic
एक क़ाफ़िर ने एक बुज़ुर्ग से कहा कि, अगर आप मेरे 3
सवालोँ का जवाब दे दो तो मैँ अभी ईमान ले
आऊँगा और मुस्लमान हो जाऊँगा।
बुज़ुर्ग ने कहा: ठिक है पुछो।
क़ाफ़िर ने सवाल किया:
1. जब आपलोग हर काम'अल्लाह'
की मर्ज़ी से करते
हैँ, तो फिर इंसानो को ज़िम्मेदार क्यो मानते
हो?
2. जब शैतान आग से बना है तो दोज़ख़ की आग
उस
पर किस तरह असर कर सकती है? और
3. जब आपलोग को'अल्लाह'नज़र
ही नहीँ आता तो उसे महसूस करते
कैसे हो?
इस पर उस बुज़ुर्ग ने क़ाफ़िर को झल्लाकर एक
मिट्टी का ढेला उठाकर दे मारा। क़ाफ़िर दर्द
से तिलमिलाता हुआ एक क़ाज़ी के पास जाकर
बुज़ुर्ग के ख़िलाफ़ उसकी शिकायत दर्ज़ कर
दी।
क़ाज़ी ने बुज़ुर्ग से पुछा: जनाब, आपने
मिट्टी का ढेला आख़िर उस बेचारे
को क्योँ मारा?
बुज़ुर्ग ने कहा: मैनेँ इन्हेँ
ढेला नहीँ मारा बल्कि इनके
सवालोँ का जवाब दिया था।
क़ाज़ी ने कहा: वो कैसे?
बुज़ुर्ग ने जवाब दिया:
1. इनके पहले सवाल का जवाब ये है, की मैनेँ ये
ढेला'अल्लाह'की मर्ज़ी से मारा था,
तो फिर
ये मुझे ज़िम्मेदार क्योँ मान रहे हैँ।
2. इनके दूसरे सवाल का जवाब ये है, की इंसान
भी तो मिट्टी से बना है, तो फिर
मिट्टी के ढेले
ने इनपर असर कैसे किया। और
3. इनके तीसरे और आख़िरी सवाल
का जवाब ये है,
की जब इन्हेँ दर्द नज़र
नहीँ आता तो ये उसे महसुस
कैसे कर सकते हैँ?
इतना सुनकर वो क़ाफ़िर हैरत मेँ पड़ गया और
इस्लाम की सदाक़त पर ईमान ले आया....।
Thursday, 14 January 2016
Hussaini koun
मेरे हुसैन ने इस्लाम का सच्चा चेहरा दिखाने के लिए मदीना छोड दिया ना कि परवाह अली अकबर चला जायेगा ना कि परवाह अब्बास चले जायेँगे ना कि परवाह बचपन अली अशगर का चला जायेगा ना कि परवाह कासिम कि जवानी लुट जायेगी ना कि मेरे हुसैन ने किसी चीज कि परवाह बल्कि तुम्हेँ इस्लाम का सच्चा चेहरा दिखाने के लिए मदीना भी छोड दिया आ गये मक्का . मक्का मेँ भी मेरे हुसैन को यजिदियोँ ने नहि छोडा खत पे खत डेढ सौँ खतोँ का ताँता बाँध दिया मजबूरन मेरे हुसैन को मक्का भी छोडना पडा गये मेरे हुसैन इस्लाम बचाने के लिए कूफा कि तरफ .तकदीर ने कूफा जाने नही दिया अभी रास्ते मेँ हैँ दोपहर का वक्त है अभी सामान उतरा भी नहीँ है दुश्मन की फौज आ गयी इमामे हुसैन को गिरफतार करने लिए मेरे हुसैन ने सामान उतारा दुश्मन के जानवरोँ को देखा जानवर प्यासे है घोडे प्यासे हैँ मेरा हुसैन जो पानी अली असगर के लिए लाया था जो पानी अली अकबर के लिए लाया था जो पानी सकीना के लिए लाया था मेरा हुसैन जो पानी छोटे छोटे बच्चोँ के लिए लाया था वो पानी मेरे हुसैन ने दुशमनोँ के जानवरोँ को पिला दिया.... खुद तो खाते नही औरोँ को खिला देते हैँ कैसे साबिर हैँ आका के घराने वाले ....मेरे हुसैन को जो गिरफ्तार करने आये थे मेरे हुसैन ने उंन्ही के जानवरोँ को पानी पिला दिया छोटे छोटे बरतन पानी के खाली हो गये आ गया नमाज का वक्त मेरे हुसैन ने इन गिरफ्तार करने वालोँ से फरमाया हुर एक बात बताओ हमारे खेमे मे आजान हो गयी तुम अपनी जमात अलग करोगे कि हमारे साथ नमाज पढोगे इमामे हुसैन ने अपने खेमे आजान कहलवा कर ऐलान करवा दिया ऐ यजिदियोँ सुन लो कोई हुसैनी तुम्हारी इबतेदा मेँ नमाज नही पढेगा तुम हमारे नजदीक इमामत के लायक नही हो हमारी नमाज तुम्हारे पीछे नही होगी तुम भी अपने आप को मुसलामन कहलाते हो तुम हो यजिदी हम भी अपने आप को मुसलमान कहलाते हैँ लेकिन हम हैँ हुसैनी ..ऐलान करवा दिया किसी हुसैनी कि नमाज किसी यजिदी के पीछे नही होगी लेकिन उनकी ये हिम्मत नही थी कि बारगाहे हुसैनी मेँ लब खोल के ये कह सके कि हम भी अपनी जमात अलग करेँगेँ बल्कि हुर ने क्या कहा ऐ इबने रसूल अल्लाह आप परवाह मत किजिए नमाज तो हम आप के पीछे ही पढेँगेँ इन यजिदियोँ कि ये हिम्मत ना हुई कि ये कह पाते कि हम भी नमाज आप के पीछे नही पढेँगेँ क्योँ कि इनकी आत्मा जानती थी रुह पहचानती थी कि सच्चे यही हैँ हक वाले यही हैँ हम तो झूठे हैँ हम तो मक्कार हैँ हम तो गद्दार हैँ हम नमाज जरुर पढते हैँ कलमा जरुर पढते हैँ तिलावत जरुर करते हैँ लेकिन सच्चाई हमारे साथ नही है.......ये वही कौम के लोग हैँ जो आज इमामे हुसैन कि शहादत पर मातम करते है ताजिया रखते हैँ बेहुरमती करते हैँ और कहते हैँ हम हुसैनी हैँ ........